फिलिस्तीनी दुर्भाग्यजनक चुनाैती का सामना कर रहे हैं- अमल अल कुबैसी

अबू धाबी, 3 मार्च, 2019 (डब्ल्यूएएम) - फेडरल नेशनल काउंसिल (एफएनसी) के अध्यक्ष डॉ. अमल अब्दुल्ला अल कुबैसी ने बयान दिया है कि आंतरिक और बाहरी मामले के बावजूद फिलिस्तीनी मुद्दा अरब के लिए प्रमुख कारण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी कारण ऐतिहासिक मोड़ से गुजर रहा है तथा भयानक चुनौती का सामना कर रहा है। अरब की एकता काे मजबूत बनाने के लिए एकजुटता और सहयोग की जरूरत है। उन्हाेंने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकार का समर्थन करने में यूएई की ऐतिहासिक काेशिश पर प्रकाश डालते हुए पूर्वी यरुशलम काे राजधानी बनाने के साथ स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की बात कही। उन्हाेंने 3 मार्च को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में आयोजित अरब अंतर-संसदीय संघ के 29 वें सम्मेलन में भाग लेने के दाैरान यह बयान दी। अरब अंतर-संसदीय संघ का थीम यरूशलेम इज द इटर्नल कैपिटल ऑफ फिलिस्तीन था। सम्मेलन में अरब पार्लियामेन्ट के स्पीकर और काउंसिल्स ने भाग लिया। डॉ. अल कुबैसी ने कहा कि हमें सहिष्णुता और मानव बिरादरी के मूल्यों और सिद्धांतों को स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है। हमारे संसदीय संस्थानों, नागरिक समाज, स्कूलों व विश्वविद्यालयों, युवाओं, परिवाराें और बच्चाें की संस्थानाें के हिस्से के रूप में मानव बिरादरी दस्तावेज़ शामिल है। उन्होंने कहा कि कई अरब देश अभी भी आतंकवाद, अतिवाद और क्षेत्रीय ताकतों द्वारा वित्त पोषित संप्रदायवादी मिलिशिया के महामारी की समस्या झेल रहा है। सीरिया और इराक में दाइश और अलकायदा का खात्मा अरबी लोगों की जीवन के जीत का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि यमन में आतंकवाद के हार की उम्मीद है। अल क़ुबैसी ने कहा कि बुद्धिमान नेतृत्व के कारण यूएई भविष्य की तैयारी कर रहा है और तीसरी सहस्राब्दी में प्रवेश करने में सफल रहा है। उन्होंने तीन द्वीपों पर यूएई की संप्रभुता की पुष्टि करते हुए कहा कि ईरान द्वारा कब्जा किए गए ग्रेटर टुन्ब, लेस टुन्ब और अबू मूसा प्राथमिकता में शामिल है।इन तीनाें द्वीप से ईरान के कब्जे काे शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने की जरूरत है। ईरानी कब्जे काे प्रत्यक्ष मध्यस्थता या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत के जरिये समाप्त किया जा सकता है। अल क़ुबैसी ने कहा कि हूथी मिलिशिया अभी भी यमनी संकट और यमनी लोगों की समस्याओं काे खत्म करने काे लेकर राजनीतिक समाधान से बचना चाहता है। अनुवादः वैद्यनाथ झा http://wam.ae/en/details/139530274424